जिबराईल अलैहिस्सलाम की मुशक्कत


أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 
            
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  

तीसरा बाब

हिकायत 66

Sachchi Hikayat 
Sachchi Hiqayat Hindi
सच्ची हिकायत हिन्दी 

 

जिबराईल अलैहिस्सलाम की मुशक्कत


हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक मर्तबा जिबराईल अलैहिस्सलाम से पूछा। ऐ जिबराईल (अलैहिस्सलाम )कभी तुझे आसमान से मुशक़्क़त के साथ बड़ी जल्दी और फौरन ही ज़मीन पर उतरना पड़ा है? जिबराईल अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया। हाँ या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम! चार मर्तबा ऐसा हुआ है के मुझे फीअलफोर बड़ी सरअत के साथ ज़मीन पर उतरना पड़ा।
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया। वो चार मर्तबा किस किस मौके पर?
जिबराईल अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया।

(1) एक तो जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को आग में डाला गया। तो मैं उस वक़्त अर्शे इलाही के नीचे था। मुझे हुक्म इलाही हुआ के जिबराईल ! खलील के आग में पहुँचने से पहले पहले फौरन मेरे खलील के पास पहुंचो । चुनाँचे मैं बड़ी सरअत के साथ फौरन ही हज़रत खलील अलैहिस्सलाम के पास पहुँचा।
(2) दूसरी बार जब हज़रत इसमाईल अलैहिस्सलाम की गर्दने अतहर पर छुरी रख दी गई तो मुझे हुक्म हुआ के छुरी चलने से पहले ही ज़मीन पर पहुँचूँ। और छुरी को उल्टा दूं। चुनाँचे मैं छुरी के चलने से पहले ही ज़मीन पर पहुँच गया। और छुरी को चलने ना दिया।
(3) तीसरी मर्तबा जब हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम को भाईयों ने कुँए में गिराया तो मुझे हुक्म हुआ के मैं यूसुफ अलैहिस्सलाम के कुँए की तह तक पहुँचने से पहले पहले ज़मीन पर पहुँचूं। और कुँए से एक पत्थर निकाल कर हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम को उस पत्थर पर बाआराम बैठा दूं। चुनाँचे मैंने ऐसा ही किया।
(4) और चौथी मर्तबा या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जबके काफिरों ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का दनदाने मुबारक शहीद किया। तो मुझे हुक्म इलाही हुआ के मैं फौरन ज़मीन पर पहुँचूं और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के दनदाने मुबारक का खून मुबारक ज़मीन पर ना गिरने दूं और ज़मीन पर गिरने से पहले ही मैं वो खून मुबारक अपने हाथों पर ले लूं। या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ! खुदा ने मुझे फरमाया था। जिबराईल ! अगर मेरे मेहबूब का ये खून ज़मीन पर गिर गया। तो कियामत तक ज़मीन में से ना कोई सब्ज़ी उगेगी। और ना कोई दरख़्त। चुनाँचे मैं बड़ी सरअत के साथ ज़मीन पर पहुँचा।और हुज़ूर के खून मुबारक को अपने हाथ पर ले लिया। (रूह-उमा अव्वल सफा 411 जिल्द 3)
सबक:- अम्बिया ए किराम अलैहिमुस्सलाम की शान बहुत बड़ी बुलंद है। के जिबराईल अमीन भी उनके खादिम है।। और ये भी मालूम हुआ के करोड़ों, पद्दमों मील का तवील सफर अल्लाह वाले पल भर में तय कर लेते हैं।


(सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 80,81)


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