बादलों पर हुकूमत




 أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 


               بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ   

दूसरा बाब



बादलों पर हुकूमत


मदीना मुनव्वरा में एक मर्तबा बारिश नहीं हुई थी। कहत का-सा आलम था। लोग बड़े परेशान थे। एक जुमा के रोज़ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जबकि वअज़ फरमा रह थे, एक आराबी उठा और अर्ज़  करने लगा या रसूलल्लाह! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम माल  ल हलाक हो गया और औलाद फाका करने लगी। दुआ फरमाइए बारिश हो । हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उसी वक़्त अपने प्यारे-प्यारे नूरानी हाथ उठाए। रावी का बयान है कि आसमान बिल्कुल साफ था, अब्र (बादल) का नाम व निशान तक न था। मगर मदनी सरकार के हाथ मुबारक उठे ही थे कि पहाड़ों की मानिंद अब्र छा गये और छाते ही मेंह बरसने लगा। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मिंबर पर ही तशरीफ़ फ़रमा थे कि मेंह शुरू हो गया इतना बरसा कि छत टपकने लगी। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रेश अनवर से पानी के कतरे गिरते हमने देखे। फिर यह मेंह बंद नहीं हुआ बल्कि हफ्ता को भी बरसता रहा। फिर अगले दिन भी और फिर उससे अगले दिन भी हत्ता कि लगातार अगले जुमा तक बरसता ही रहा। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जब दूसरे जुमा का वअज़ फ़रमाने उठे तो वही आराबी जिसने पहले जुमा में बारिश न होने की तकलीफ अर्ज़ की थी उठा और अर्ज़ करने लगा या रसूलल्लाह! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अब तो माल गर्क होने लगा और मकान गिरने लगे। अब फिर हाथ उठाइए कि यह बारिश बंद भी हो। चुनांचे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फिर उसी वक़्त अपने प्यारे-प्यारे नूरानी हाथ उठाए और अपनी उंगली मुबारक से इशारा फ़रमाकर दुआ फ़रमाई कि ऐ अल्लाह! हमारे इर्द गिर्द बारिश हो, हम पर न हो, हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का यह इशारा करना ही था कि जिस जिस तरफ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की उंगली गई उस तरफ़ से बादल फटता गया और मदीना मुनव्वरा के ऊपर सब आसमान साफ हो गया।

 (मिश्कात शरीफ़, सफा 528,सच्ची हिकायत ,हिस्सा अव्वल)

सबक : सहाबा किराम मुश्किल के वक़्त हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ही की बारगाह में फयाद लेकर आते थे। उनका यकीन था कि हर मुश्किल यहीं हल होती है। वाकई वहीं हल होती रही है। इसी तरह आज भी हम हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के मोहताज हैं। बगैर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के वसीला के हम अल्लाह तआला से कुछ भी नहीं पा सकते। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की हुकूमत बादलों पर भी जारी है।

(सच्ची हिकायत पेज 34)

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