जिबराईल अमीन और एक नूरानी तारा

          أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
               بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ         
     दूसरा बाब 

 हिक़ायत 4 


जिबराईल अमीन और एक नूरानी तारा


 एक मर्तबा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत जिबराईल अमीन अलैहिस्सलाम से दरयाफ्त फ़रमाया: कि ऐ जिबराईल! तुम्हारी उम्र कितनी है? तो जिबराईल ने अर्ज़ किया : हुज़ूर ﷺ ! मुझे कुछ ख़बर नहीं। हां, इतना जानता हूं कि चौथे हिजाब में एक नूरानी तारा सत्तर हज़ार बरस के बाद चमकता था। मैंने उसे बहत्तर हज़ार मर्तबा चमकते  देखा है। हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने यह सुनकर फ़रमाया :   " मेरे रब की इज़्ज़त की क़सम! मैं ही वह नूरानी तारा हूँ।                                                                         
      (रुहुल ब्यान जिल्द 1, सफहा 974  ) 

सबक : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम काइनात की हर चीज़ से पहले पैदा फरमाए गए है। आपका नूर-ए-पाक उस वक़्त भी था जबकि न कोई फरिश्ता था, न कोई बशर, न ज़मीन थी, न आसमान और न कोई शय। सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 

(सच्ची हिक़ायत, हिन्दी सफ़हा 18)

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