मदयन का कुँआ


    أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 

            
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  

  

तीसरा बाब

हिकायत 72

Sachchi Hikayat
Sachch Hiqayat hindi
सच्ची हिकायत हिन्दी




मदयन का कुँआ

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने बड़े होकर जब हक का बयान और फिरऔन और फिरऔनियों की गुमराही का बयान शुरू किया। तो बनी इस्राईल के लोग आपकी बात सुनते और आपका इत्तिबा करते। और फिरऔनियों के दीन की मुखालफत फरमाते रफ्ता रफ्ता इस बात का चर्चा हुआ। और फिरऔनी जुस्तजू में हुए। फिर फिरऔन के बावर्ची का मूसा अलैहिस्सलाम के मुक्के से मारा जाना भी जब उन लोगों को मालूम हुआ। तो फिरऔन ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के कत्ल का हुक्म दिया। और लोग हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की तलाश में निकले। फिरऔनियों में से एक नेक मर्द मूसा अलैहिस्सलाम का खैरख्वाह भी था। वो दौड़ा हुआ आया। और मूसा अलैहिस्सलाम को खबर दी और कहा। आप यहाँ से कहीं और तशरीफ ले जाईये। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम उसी हालत में निकल पड़े और मदयन की तरफ रुख किया। मदयन वो मुकाम है। जहाँ हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम तशरीफ रखते थे। ये शहर फिरऔन के हदूद सलतनत से बाहर था। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसका रास्ता भी ना देखा था। ना कोई सवारी साथ ना कोई हमराही चुनाँचे अल्लाह तआला ने एक फरिश्ता भेजा। जो आपको मदयन तक ले गया। हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम उसी शहर में रहते थे। आपकी दो लड़कियाँ थीं। और बकरियाँ आपका ज़रिया मआश था। मदयन में एक कुआँ था हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पहले उसी कुएँ पर पहुंचे और आपने देखा के बहुत से लोग उस कुएँ से पानी खींचते हैं। और अपने जानवरों को पिला लेते हैं। और हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम की दोनों लड़कियों भी अपनी बकरियों को अलग रोक कर वहीं खड़ी हैं। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने जब लड़कियों से पूछा के तुम अपनी बकरियों को पानी क्यों नहीं पिलाती?

उन्होंने कहा। के हम से डोल खींचा नहीं जाता। ये लोग चले जाऐंगे। तो जो पानी होज़ में बचा रहेगा। वो हम अपनी बकरियों को पिला लेंगी। हज़रत मुसा अलैहिस्सलाम को रहम आ गया। और पास ही जो एक दूसरा कुआं था। जिस पर एक बहुत बड़ा पत्थर ढका हुआ था। और जिसको बहुत आदमी मिलकर हटा सकते थे। आपने तनहा उसको हटा दिया। और उसमें से डोल खींच कर उनकी बकरियों को पानी पिला दिया घर जाकर उन दोनों लड़‌कियों ने हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम से कहा। अब्बा जान। एक बड़ा नेक और कवी नो वारिद मुसाफिर आया है। जिसने आज हम पर रहम खा के हमारी बकरियों को सैराब कर दिया है। हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम ने एक साहबजादी से फरमाया । के जाओ और उस मर्द सालेह को मेरे पास बुला लाओ चुनाँचे बड़ी साहबज़ादी चहरे को आसतीन से ढके हुए और जिस्म को छुपाए हुए बड़ी शर्म व हया से चलती हुई हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास आई और कहां के मेरे बाप आपको बुलाते हैं। ताके आपको उजरत दें हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम उजरत लेने पर तो राज़ी ना हुए। हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम को ज़ियारत और उनकी मुलाकात के लिए चल पड़े और उनकी साहबजादी से फरमाया के आप मेरे पीछे रहकर रास्ता बताती जाईये ये आपने पर्दे के एहतिमाम से फरमाया। और इसी तरह तशरीफ लाए। जब हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे। तो हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम से आपने फिरऔन का हाल और अपनी विलादत से लेकर फिरऔन के बावर्ची के मारे जाने तक का सब किस्सा सुनाया। हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम ने फरमाया। अब कोई फिक्र ना करो तुम जालिमों से बच कर चले आए। अब यहीं मेरे पास रहो।

 (कुरआन करीम पारा 20 रुकू 6,खज़ानुल-इरफान सफा 548)

 सबकः जालिम और मगरूर हाकिम अल्लाह वालों के दरपये आज़ाद हो जाते हैं। और अल्लाह वाले मसायब व अलाम की बर्दाश्त फरमा लेते हैं मगर इशाअते हक से नहीं रूकते और अल्लाह तआला अपने उन हक़ गौ बन्दों की हिफाज़त फरमाता है।

(सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 86,87)







गलत फहमियां और उनकी इस्लाह को भी मुताअला कीजिए 

➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

पिछली सारी पोस्ट ब्लॉग पर पढ़ने के लिये लिंक पर क्लिक कीजिये।


➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
पिछली सारी पोस्ट टेलीग्राम पर पढ़ने के लिये लिंक पर क्लिक कीजिये।
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖


Post a Comment

0 Comments