हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का तमाचा


أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 
            
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  

तीसरा बाब
हिकायत 70

Sachchi Hikayat
Sachch Hiqayat hindi
सच्ची हिकायत हिन्दी



हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का तमाचा


हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास जब मलकुलमौत हाज़िर हुआ। तो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने मलकुलमौत को एक ऐसा तमाचा मारा। के मलकुलमौत की आँख निकल आई। मलकुलमौत फौरन वापस पलटा और अल्लाह तआला के हुज़ूर अर्ज़ करने लगा। इलाही आज तो तूने मुझे एक ऐसे अपने बन्दे की तरफ भेजा है। जो मरना ही नहीं चाहता। ये देख के उसने मुझे तमाचा मार कर मेरी आँख निकाल दी है। खुदा ने मलकुलमौत की वो आँख दुरस्त फरमा दी। और फरमाया मेरे बन्दे मूसा अलैहिस्सलाम के पास फिर जाओ और बैल साथ लेते जाओ। और मूसा अलैहिस्सलाम से कहना के अगर तुम चलना चाहते हो तो उस बैल की पुश्त पर हाथ फैरो। जितने बाल तुम्हारे हाथ के नीचे मा जाएंगे। उतने ही साल और जिन्दा रह लेना। चुनाँचे मलकुलमौत बैल लेकर फिर हाज़िर हुआ। और अर्ज़ करने लगा। हुज़ूर। उसकी पुश्त पर दाथ फेरिये। जितने बाल आपके हाथ के नीचे आजाएँगे इतने साल आप और जिन्दा रह लें। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया और उसके बाद फिर तुम आ जाओगे? अर्ज़ किया। हाँ! तो फरमाया। फिर अभी ले चलो।
 (मिश्कात शरीफ सफा 499)
सबक:- अल्लाह के नबियों की ये शान है के चाहें तो मलकुलमौत को भी तमांचा मार दें। और उसकी आँख निकाल दें। और नबी वो होता है जो मरना चाहे तो मलकुलमौत करीब आता है और अगर ना मरना चाहे तो मलकुलमौत वापस चला जाता है। हालाँकि अवाम की मौत उस शेर के मिसदाक होती है के


लाई हयात आए कज़ा ले चली चले


अपनी खुशी ना आए ना अपनी खुशी चले


(सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 85,86)


< मूसा अलैहिस्सलाम का मुक्का



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