कबीलाए अज़दशनूत में एक शख्स था जिसका नाम ज़माद था वह अपने जन्तर मन्तर से लोगों के जिन्न भूत वगैरा के साए उतारा करता था। एक मर्तबा वह मक्का मोअज़्ज़मा में आया तो बाज़ लोगों को यह कहते सुना कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जिन्न का साया है या जुनून है । ज़माद ने कहा - मैं ऐसे बीमारों का इलाज अपने जन्तर मन्तर से कर लेता हूं। मुझे दिखाओ वह कहां हैं? वह उसे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास ले आए। ज़माद जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पास बैठा तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया ज़माद अपना जन्तर मन्तर फिर सुनाना। पहले मेरा कलाम सुनो। चुनान्चे आपने अपनी ज़बाने हक से यह खुतबा पढ़ना शुरू किया
◆◆अल्हम्दुलिल्लाह नहमदहु व नस्तईनुहु......मुहम्मदन अब्दुहुव रसूलुहु◆◆
ज़माद ने यह खुतबा मुबारक सुना तो मबहूत रह गया। अर्ज़ करने लगा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! एक बार फिर पढ़िए हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर यही खुतबा पढ़ा अब ज़माद (वह ज़माद जो साया उतारने आया था उसका अपना साया ए कुफ़्र उतरता है देखिये) ना रह सका और बोला:
खुदा की कसम! मैंने कई काहीनों, साहीरों और शायरों की बातें सुनी लेकिन जो आपसे मैंने सुना है यह तो मानन एक बहरे ज़ख्खार है। अपना हाथ बढ़ाइए मैं आपकी बैत करता हूं । यह कहकर मुसलमान हो गया जो लोग उसे इलाज करने के लिए लाए थे हैरान व परेशान वापस फिरे।
(मुस्लिम जिल्द एक, सफहा 320)
सबक-हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़बाने हक तर्जमान में वह तासीर पाक थी । कि बड़े-बड़े संगदिल मोम हो जाते थे । यह भी मालूम हुआ कि हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जो लोग साहिर व मजनू कहते थे दरअसल वे खुद ही मजनू थे । इसी तरह आज भी जो शख्स हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इल्म व इख्तियार और आपके नूरे जमाल का इनकार करता है वह दरअसल खुद ही जाहिल ,स्याह दिल और स्याहरू है।
(सच्ची हिक़ायत,हिन्दी ,पेज 25,26)
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