रुकाना पहलवान

 

दूसरा बाब


हिक़ायत 10

रुकाना पहलवान

बनी-हाशीम मे एक मुश्रिक शख्स रुकाना नामी बड़ा ज़बरदस्त पहलवान था। उसका रिकार्ड था की उसे किसी ने न गिराया था। वह एक जंगल मे जिसे इज़म कहते थे,रहा करता था। बकरियां चराता था और बड़ा मालदार  था।
*एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अकेले उस तरफ जा निकले। रुकाना ने आपको देखा तो आपके पास आकर कहने लगा ऐ मुहम्मद! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम आप ही वह है जो हमारे लात व उज्जा की तौहीन व तहकीर करते है, अपने एक खुदा की बड़ाई ब्यान करते है?अगर मेरा आपसे तअल्लुक रहमी न होता तो आज मै आप को मार डालता। आइये मेरे साथ कुश्ती करिये, आप अपने खुदा को पुकारें , मै अपने लात व उज्जा को पुकारताF हुं, देखे तो तुम्हारे खुदा मे कितनी ताकत है...
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया : रुकाना! अगर कुश्ती ही करना है तो चल मै तैयार हुं_*
रुकाना यह जवाब सुनकर अव्वल तो हैरान हुआ और फिर बड़े गुरुर के साथ मुकाबले मे खड़ा हो गया।हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने पहली ही झपट मे उसे गिरा लिया और उसके सीने पर चढ़कर बैठ गये।
रुकाना उम्र मे पहली मर्तबा गिरकर बड़ा शर्मिंदा भी हुआ और हैरान भी। बोला : ऐ मुहम्मद! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेरे सीने से उठ खडें हो, मेरी लात व उज्जा ने मेरी तरफ ध्यान नही किया, एक बार और मौका दो दुसरी मर्तबा कुश्ती लड़े। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम सीने से उठ खड़े हुए और दोबारा कुश्ती के लिए रुकाना भी उठा। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने दुसरी मर्तबा भी रुकाना को पल भर मे गिरा लिया। रुकाना ने कहा :-ऐ मुहम्मद! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मुझे मालुम होता है की मेरा लात व उज्जा मुझपर नाराज़ है और तुम्हारा खुदा तुम्हारी मदद कर रहा है, खैर एक मर्तबा और आओ अबकी दफा लात व उज्जा ज़रुरी मेरी मदद करेंगे। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने तीसरी दफा कुश्ती भी मंजुर फरमाई,  तीसरा मर्तबा भी उसे पछाड़ दिया, अब तो रुकाना बड़ा ही शर्मिंदा हुआ और बोला - ऐ मुहम्मद! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेरी उन बकरियों मे जितनी चाहो बकरियां ले लो। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया : रुकाना मुझे तेरी माल की जरुरत नही हां! मुसलमान हो जाओ ताकी जहन्नम से बच जाओ, वह बोला : या मुहम्मद! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मुसलमान तो हो जाऊं मगर नफ्स झिझकता है की मदीने और नवाह की औरतें बच्चे क्या कहेंगे इतने बड़े पहलवान ने शिकस्त खाई और मुसलमान हो गया। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया : तेरा माल तुझे मुबारक, यह कहकर आप वापस तशरीफ ले आए। इधर हजरत अबु-बक्र व उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा  आपकी तलाश मे थे और यह मालूम करके की हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम वादीए इज़म की तरफ तशरीफ ले गये है बचैन थे, की उस तरफ रुकाना पहलवान रहता है, मुबादा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को ईज़ा दे। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को वापस तशरीफ लाते देखकर दोनो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत मे मे हाज़िर हुए और अर्ज़ किया : या रसुलल्लाह!  सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम आप उधर अकेले तशरीफ क्यों ले गये थे...?? जबकी उस तरफ रुकाना पहलवान जो बड़ा ज़ोर आवर और दुश्मने इस्लाम है रहता है। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम यह सुनकर मुस्कुराए और फरमाया :- जब मेरा अल्लाह हर वक्त मेरे साथ है फिर किसी रुकाना की क्या परवाह....?? लो उस रुकाना की पहलवानी का किस्सा सुनो! चुनांचे : हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने सारा किस्सा सुनाया, सिद्दीक व फारुक सुनकर खुश होने लगे और अर्ज़ किया :- *हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम वह तो ऐसा पहलवान था की आज तक उसे किसी ने गिराया ही न था, उसे गिराना अल्लाह के रसुल ही का काम है।
(अबु दाऊद, जिल्द-2, सफा-209,)

सबक : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हर फ़ज़्ल व कमाल के मम्बअ व मखजन है। दुनिया की कोई ताकत हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के मुकाबले मे नही ठहर सकती। मुखालिफीन के दिल भी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के फ़ज़्ल व कमाल को जानते है लेकिन दुनिया की खौफ से उसका इकरार नही करते।

(सच्ची हिक़ायत, हिन्दी पेज 26,27,28)

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