أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
सच्ची हिक़ायत 20
दूसरा बाब
सूरज पर हुकूमत
एक रोज़ मकामे सहबा में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने नमाज़ ज़ुहर अदा की और फिर हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु को किसी काम के लिये रवाना फ़रमाया। हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु के वापस आने तक हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने नमाज़ असर भी अदा फ़रमा ली। जब हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु वापस आये तो उनकी आगोश में अपना सर रखकर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम सो गये। हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने अभी तक नमाज़े असर अदा न की थी। उधर सूरज को देखा तो गुरूब होने वाला था। हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु सोचने लगे। इधर रसूले खुदा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम आराम फरमा हैं और उधर नमाज़े खुदा का वक़्त हो रहा है। रसूले खुदा का ख्याल रखूं तो नमाज़ जाती है और नमाज़ का ख्याल करूं तो रसूले खुदा की नींद में खलल वाके होता है। करूं तो क्या करूं? आखिर मौला अली शेरे खुदा रदियल्लाहु अन्हु ने फैसला किया कि नमाज़ को कज़ा होने दो मगर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की नींद मुबारक में खलल न आए। चुनांचे सूरज डूब गया और असर का वक़्त जाता रहा। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उठे तो हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु को मगमूम देखकर वजह दर्याफ़्त की तो हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ किया कि या रसूलल्लाह! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैंने आपकी इस्तिराहत के पेशे नज़र अभी तक नमाज़े असर नहीं पढ़ी। सूरज गुरूब हो गया है। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने दुआ फरमाई तो गुरूब-शुदा सूरज फिर निकला और उल्टे कदम उसी जगह आकर ठहर गया जहां असर का वक़्त होता है। हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने उठकर असर की नमाज़ पढ़ी तो सूरज ग़ुरूब हो गया।
(हुज्जतुल्लाह अलल-आलमीन,सफा 398)
सबक: हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की हुक़ूमत सूरज पर भी जारी है। आप क़ायनात के हर ज़र्रे के हाकिम व मुख्तार है। आप जैसा न कोई हुआ न हो होगा और न हो सकता है।
(सच्ची हिक़ायत,हिन्दी पेज 35,36)
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