कैदी चचा

 أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم

           
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  

  

दूसरा बाब


कैदी चचा


हिकायत 26


जंगे बदर में जब अल्लाह तआला ने मुसलमानों को फ़तह और कुफ्फ़ार को शिकस्त दी तो मुसलमानों के हाथ जो कैदी आये उनमें हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के चचा हज़रत अब्बास भी थे। कैदियों से जब तावान तलब किया गया तो हज़रत अब्बास कहने लगे कि ऐ मुहम्मद! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैं तो एक गरीब आदमी हूं। मेरे पास क्या है? मक्का में जब आपने मुझे छोड़ा था तो मैं तमाम कबीला के अफराद से गरीब था। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : अब जबकि आपने अपने घर से फौजे कुफ्फार के साथ जंग बदर में आना चाहा तो आप अपनी बीवी उम्मे फ़ज़्ल को पोशीदगी में चंद सोने की ईटें देकर आये थे। चचा जान! यह राज़ आप क्यों छिपा रहे हैं? हजरत अब्बास यह गैब की बात सुनकर हैरान रह गये और बकौले शाइर
जनाबे हजरत अब्बास पे राशा हुआ तारी
कि पैगम्बर तो रखता है दिलों की भी खबरदारी
ख्याल आया मुसलमां नेक व बद पहचान जाते हैं
मुहम्मद ﷺ आदमी के दिल की बातें जान जाते हैं

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की यह इत्तेला अलल-गैब का मोजिज़ा देखकर हज़रत अब्बास ईमान ले आये।
(दलाइलुल-नब्बीया जिल्द 2, सफा 171)
सबक : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से कोई बात मख्फी नहीं। अल्लाह तआला ने हर चीज का हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को इल्म दे दिया है। यह इल्मे गैब भी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का एक मोजिज़ा है जिस पर हर मुसलमान का ईमान है।
(सच्ची हिक़ायत,हिन्दी पेज 39,40)
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