أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
दूसरा बाब
हिक़ायत 30
काफ़िरा का मकान
हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फतहे मक्का के बाद एक दिन मक्का मोअज़्ज़मा की एक काफिरा औरत के मकान की दीवार से तकिया लगाकर किसी गुलाम से गुफ्तगू फ़रमा रहे थे। उस मकान वाली काफ़िरा औरत को जब पता चला कि मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेरे मकान की दीवार से तकिया लगाए बैठे हैं तो बुग्ज़ व अदावत से उसने अपने मकान की सब खिड़कियां बंद कर डालीं ताकि हुज़ुर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की आवाज़ न सुन पाए। उसी वक़्त जिब्रईल अमीन हाज़िर हुए और अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ख़ुदा तआला फरमाता है कि अगरचे यह औरत काफिरा है मगर आपकी शान बड़ी अरफ़ा व बुलंद है । चूंकि उस काफिरा के मकान की दीवार के साथ आपकी पुश्ते अनवर लग गई है इसलिये मैं नहीं चाहता कि यह मकान वाली अब जहन्नम में जले। उस औरत ने तो अपने मकान की खिड़कियों को बंद किया है मगर मैंने उसके दिल की खिड़की खोल दी है। यह सिर्फ उसकी दीवार से आपके तकिया लगाकर खड़े होने की बरकत से है। इतने में वह औरत बेचैन होकर घर से निकली और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के कदमों पर गिर गई और सच्चे दिल से कलिमा पुकार उठी।
अशहदु अल ला इला ह इल्लल्लाह व अशहदु अन न क रसूलुल्लाह ﷺ
(नुजहतुल-मजालिस, जिल्द 2, सफा 78)सबक़ : जिस औरत के मकान की दीवार से हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की पुश्ते अनवर लग गई वह औरत आग से बच गई। तो जिस खुश किस्मत और मुक़द्दस खातून हज़रत आमिना रदियल्लाहु अन्हा के शिकमे अनवर में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने क्याम फ़रमाया वह मुकद्दस खातून क्यों जन्नत की मालिक न होगी? फिर किस कदर बदबख़्त हैं वह लोग जो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के वालिदैन मोअज्जेमैन के मुतअल्लिक़ कुछ का कुछ कहते हैं।
(सच्ची हिकायत हिन्दी पेज 43)
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