जंगल की हिरनी

أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 

            
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ   
   

 दूसरा बाब


सच्ची हिक़ायत 29



 जंगल की हिरनी


एक जंगल में एक हिरनी रहती थी। उसके दो बच्चे थे। एक बार वह बाहर निकली तो किसी शिकारी ने जाल बिछा रखा था। बेखबर हिरनी उस जाल में फंस गई। जब उसने देखा कि मैं तो फंस गई हूं तो बड़ी परेशान हुई । उसकी खुश किस्मती देखिए कि उसी जंगल में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाते हुए उसे नज़र आये। जब उसने हुज़ूर रहमते आलम सल्लल्लाहु तआलाअलैहि वसल्लम को देखा तो पुकारी या रसूलल्लाह! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मुझ पर रहम फ़रमाईये हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उसकी पुकार सुनी और उसके पास तशरीफ़ लाकर फ़रमायाः क्या हाजत है? वह बोली हुज़ूर! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैं इस आराबी के जाल में फंस गई हूं। मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं जो इस क़रीब के पहाड़ों में हैं। थोड़ी देर के लिये आप मेरी जमानत देकर इस जाल से मुझे आज़ाद करा दीजिये ताकि मैं आखरी बार एक मर्तबा बच्चों को दूध पिला आऊ। हुज़ूर! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैं दूध पिलाकर फिर यहीं वापस आ जाऊंगी। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : अच्छा! जा मैं तुम्हारी ज़मानत देता हूं और तुम्हारी जगह यहीं ठहरता हूं। तू बच्चों को दूध पिला कर जल्दी वापस आ जा । चुनांचे हिरनी को आपने रिहा कर दिया और वहां खुद क्याम फ़रमा हो गये। आराबी जो मुसलमान न था, कहने लगा : अगर मेरा शिकार वापस न आया तो अच्छा न होगा। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: तुम देखो तो सही कि हिरनी वापस आती है या नहीं? चुनांचे हिरनी बच्चों के पास पहुंची और बच्चों को दूध पिलाकर फौरन वापस लौटी। आते ही हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के कदमों पर सर डाल दिया। यह एजाज़ देखकर वह आराबी भी कदमों पर गिर गया-


झुक गये सर हिरनी व काफिर दोनों साथ-साथ
मुस्तफा ने उनके सर पर रख दिया रहमत का हाथ
फिर बशारत उसको और इसको मिली सरकार से
जाल से आजाद तू, और तू अज़ाबे नार से


(शिफा शरीफ जिल्द 2, सफा 76)

सबक़ : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जानवरों तक के लिये रहमत हैं। जानवर भी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के हुक्म की तामील करते हैं। फिर जो इंसान होकर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का हुक्म न माने वह जानवरों से भी गया गुज़रा है या नहीं?


(सच्ची हिकायत हिन्दी पेज 41,42)

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