भेड़िये की गवाही



أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم

           
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  


  

दूसरा बाब


हिक़ायत 33

भेड़िये की गवाही

मदीना मुनव्वरा के किसी मकाम पर एक चरवाहा अपनी बकरिया चरा रहा था कि अचानक एक भेड़िया आया और बकरियों के रेवड़ में घुसकर एक बकरी का शिकार ले भागा। चरवाहे ने देखा तो उसने भेड़िये का पीछा किया और उससे बकरी छुड़ा ली। भेड़िये ने जब देखा कि मेरा शिकार मुझसे छीन लिया गया है तो एक टीले पर चढ़कर ब-ज़बाने फसीह कहने लगा. मियां चरवाहे! अल्लाह ने मुझे रिज़्क दिया था मगर अफ़सोस! कि तुमने मुझसे छीन लिया। चरवाहे ने जब एक भेड़िये को कलाम करते हुए देखा तो हैरान होकर बोलाः तअज्जुब है कि एक भेड़िया भी कलाम करता है, भेड़िये ने फिर कलाम किया और कहाः इससे भी ज़्यादा ताज्जुब वाली बात तो यह है कि मदीना शरीफ़ में एक ऐसा वुजूद मौजूद है जो तुम्हें जो कुछ हो चुका है और जो कुछ आइंदा होने वाला है उन सब अगली पिछली बातों की खबर देता है मगर तुम उस पर ईमान नहीं लाते। चरवाहा (जो यहूदी था) भेड़िये की इस गवाही को सुनकर बड़ा मुतअस्सिर हुआ और बारगाहे रिसालत में हाज़िर होकर मुसलमान हो गया।

(मिश्कात शरीफ़, सफा 533)

सबक : एक जानवर भी जानता और मानता है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हर गुज़री हुई और होने वाली बात को जानते हैं। मगर एक बराए नाम इंसान भी हैं जो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के लिये दीवार के पीछे का इल्म भी तस्लीम नहीं करते।

( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 46)

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