खुश-अकीदा याफूर


أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم

           
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  


  
दूसरा बाब

हिक़ायत 34

खुश-अकीदा याफूर

फत्हे खैबर के बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम वापस आ रहे थे कि रास्ते में आपकी खिदमत में एक गधा हाज़िर हुआ और अर्ज़ करने लगा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम! मेरी अर्ज़ भी सुनते जाइये । हुज़ूर रहमते आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उस मिस्कीन जानवर की अर्ज़ सुनने को ठहर गये और फ़रमाया बताओ क्या कहना चाहते हो? वह बोला, हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेरा नाम यज़ीद बिन शहाब है और मेरे दादा की नस्ल से खुदा ने साठ खर पैदा किये हैं। उन सब पर अल्लाह के नबी सवार होते रहे। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम! मेरे दिल की यह तमन्ना है कि मुझ मिस्कीन पर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम सवारी फरमायें । या रसूलल्लाह! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैं इस बात का मुस्तहिक हूं। वह इस तरह कि मेरे दादा की औलाद में से सिवा मेरे कोई बाकी नहीं रहा और अल्लाह के रसूलों में से सिवा आपके कोई बाकी नही रहा। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उसकी यह ख्वाहिश सुनकर फ़रमाया : अच्छा हम तुम्हें अपनी सवारी के लिये मंजूर फ़रमाते हैं और तुम्हारा नाम बदलकर हम याफूर रखते हैं।

(हुज्जतुल्लाहु अलल-आलमीन, सफा 460)

सबक : हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ख़त्मे नुबुन्त का इकरार एक गधा भी कर रहा है। फिर जो ख़त्मे नुबुव्वत का इंकार करे, वह क्यों न गधे से भी बदतर हो।

( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 46,47)

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