أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
दूसरा बाब
हिक़ायत 35
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और मलकुल-मौत
हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के विसाल शरीफ का जब वक़्त आया तो मलकुल-मौत जिब्रईल अलैहिस्सलाम के साथ में हाज़िर हुआ। जिब्रईल अमीन ने अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह!सल्लल्लाहु तआल अलैह वसल्लम यह मलकुल-मौत आया है और आपसे इजाज़त तलब करता है। हुज़ूर!सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इसने आज तक कभी न किसी से इजाज़त ली है और न आपके बाद किसी से इजाज़त लेगा। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अगर इजाज़त दें तो अपना काम करे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः मलकुल-मौत को आगे आने दो। चुनांचे मलकुल-मौत आगे बढ़ा और अर्ज़ करने लगाः या रसूलुल्लाह!सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अल्लाह तआला ने मुझे आपकी तरफ़ भेजा है। मुझे यह हुक्म दिया है कि मैं आपका हर हुक्म मानूं और जो आप फ़रमायें वही करूं। लिहाजा आप अगर फरमायें तो मैं रूहे मुबारक क़ब्ज़ करूं वरना वापस चला जाऊं। जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया- हुज़ूर!सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम खुदावंद करीम आपके लिकाए विसाल को चाहता है। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : ऐ मलकुल-मौत! तुम्हें जान लेने की इजाज़त है। जिबईल अलैहिस्सलाम बोलेः हुज़ूर ! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अब जबकि आप तशरीफ़ लिये जा रहे हैं तो फिर ज़मीन पर मेरा यह आखिरी फेरा है। इसलिये कि मेरा मकसूद तो आप ही थे। इसके बाद मलकुल-मौत कब्ज़े रूह अनवर के शर्फ से मुशर्रफ़ हुआ।
(मवाहिब लदुन्नियः जिल्द 4 सफा 571, मिश्कात शरीफ सफा 541)सबक : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की इतनी बड़ी शान है कि वह मलकुल-मौत जिसने कभी किसी बड़े-से-बड़े बादशाह से भी इजाजत नहीं ली, हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर होकर पहले इजाज़त तलब करता है। यूं कहता है कि अगर आप फरमायें तो जान लूं वरना वापस चला जाऊं। खुदा उसे यह हुक्म देकर भेजता है कि मेरे महबूब की इताअत करना, जो वह फरमायें वही करना। बावजूद इसके जो गुस्ताख़ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को अपनी मिस्ल कहते हैं किस कदर गुमराह हैं? क्या कभी इनसे भी मलकुल-मौत ने इजाज़त ली हैं?
( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 47,48)
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