जज़ीरे का कैदी

 

أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم

           
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  
  

दूसरा बाब

हिक़ायत 49


 

Sachchi Hikayat Hindi

जज़ीरे का कैदी

इब्ने मरजूक ब्यान करते हैं कि जज़ीरए शकर के एक मुसलमान को दुशमन ने कैद कर लिया और उसके हाथ पांव लोहे की जंजीरों से बांधकर कैदखाने में डाल दिया। उस मुसलमान ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का नाम लेकर फरयाद की। ज़ोर से कहने लगाः या रसूलल्लाह!(सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) यह नारा सुनकर काफ़िर बोलेः अपने रसूल (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) से कहो तुम्हें इस कैद से छुड़ाने आयें। फिर जब रात हुई और आधी रात का वक़्त हुआ तो कैदखाने में कोई शख्स आया और उसने कैदी से कहाःउठो, अज़ान कहो। कैदी ने अज़ान देना शुरू की और जब वह इस जुमले 'अशहदुअन्न न मुहम्मदर्रसूलुल्लाह' (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) पर पहुंचा तो उसकी सब जंजीरें टूट गई और वह आज़ाद हो गया। फिर उसके सामने एक बाग ज़ाहिर हो गया। वह उस बाग से होता हुआ बाहर आ गया। सुबह उसकी रिहाई का सारे जज़ीरे में चर्चा होने लगा। (शवाहिदुल हक सफ़ा, 162)

सबकः मुसलमान हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का नारए रिसालत हमेशा लगाते रहे हैं। इस नारे का मज़ाक उड़ाना दुशमनाने रिसालत का काम है। यह भी मालूम हुआ कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का नाम मुश्किल कुशा है कि यह नाम लेते ही मुसीबत की कड़ियां टूट जाती हैं।

( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 57)

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