फंसा हुआ जहाज़

 


أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم

           
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  
  

दूसरा बाब

हिक़ायत 50          

Sachchi Hikayat hindi


फंसा हुआ जहाज़

एक मर्दे सालेह को एक काफ़िर बादशाह ने गिरफ्तार कर लिया वह फ़रमाते हैं कि उस बादशाह का एक बहुत बड़ा जहाज़ दरिया में फंस गया था जो बड़ी कोशिश के बावजूद दरिया से निकल न सका। आखिर एक दिन जिस कदर कैदी थे उनको बुलाया गया ताकि वह सब मिलकर उस जहाज़ को निकालें । चुनांचे उन कैदियों ने जिनकी तादाद तीन हज़ार थी, मिलकर कोशिश की। फिर भी वह जहाज़ निकल न सका। फिर उन कैदियों ने बादशाह से कहा कि जिस कदर मुसलमान कैदी हों उनको कहिये वह यह जहाज़ निकाल सकेंगे। लेकिन शर्त यह है कि वह जो भी नारा लगायें उन्हें रोका न जाए। बादशाह ने यह बात तस्लीम कर ली। सब मुसलमान कैदियों को रिहा करके कहा कि तुम अपनी मर्ज़ी के मुताबिक जो नारा लगाना चाहो लगाओ और जहाज को निकालो। वह मर्दे सालेह फरमाते हैं कि हम सब मुसलमान कैदियों की तादाद चार सौ थी हमने मिलकर नारए रिसालत लगाया और एक आवाज़ से 'या रसूलल्लाह' (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) कहा और जहाज़ को एक धक्का लगाया तो वह जहाज़ अपनी जगह से हिल गया। फिर हमने नारा लगाते हुए उसे रुकने नहीं दिया यहां तक कि उसे बाहर निकाल दिया।

(शवाहिदुल हक सफा 163)

सबकः नारए रिसालत मुसलमानों का महबूब नारा है। मुसलमानों ने इसे हमेशा अपनाए रखा। इस नामे पाक से बड़े बड़े मुश्किल काम हल हो जाते हैं। फिर जो शख़्स इस नारे की मुखालफत करे किस कदर बेख़बर है

( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 58)

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