مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
दूसरा बाब
हिक़ायत 51
![]() |
Sachchi Hikayat Hindi Sachchi Hiqayat Hindi सच्चा हिक़ायत हििंदी |
एक सय्यदज़ादी और मजूसी
मुल्क समरकंद में एक बेवा सय्यदज़ादी रहती थी। उसके चंद बच्चे भी थे । एक दिन वह अपने भूखे बच्चों को लेकर एक रईस आदमी के पास पहुंची और कहाः मैं सय्यदज़ादी हूं मेरे बच्चे भूखे है, इन्हें खाना खिलाओ। वह रईस आदमी जो दौलत के नशे में चूर और बराए नाम मुसलमान था, कहने लगा तुम अगर वाकई सय्यदज़ादी हो तो कोई दलील पेश करो। सय्यदज़ादी बोली मैं एक गरीब बेवा हूं। ज़बान पर एतेबार करो कि सय्यदज़ादी हूं और दलील क्या पेश करूँ? वो बोला मैं ज़बानी जमा खर्च का मोअतकिद नहीं अगर कोई दलील है तो पेश करो वरना जाओ, वो सय्यदज़ादी अपने बच्चों को लेकर वापस चली आई और एक मजूसी रईस के पास पहुँची और अपना किस्सा बयान किया वो मजूसी बोला, मोहतरमा! अगरचे मैं मुसलमान नहीं हूँ मगर तुम्हारी सियादत की तअज़ीम व कद्र करता हूँ आओ और मेरे हाँ ही कयाम फरमाओ मैं तुम्हारी रोटी और कपड़े का ज़ामिन हूँ, ये कहा और उसे अपने यहाँ ठहरा कर उसे और उसके बच्चों को खाना खिलाया और उनकी बड़ी खिदमत की, रात हुई तो वो बराए नाम मुसलमान रईस सोया तो उसने ख़्वाब में हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम को देखा जो एक बहुत बड़े नूरानी महल के पास तशरीफ़ फ़रमा थे, इस रईस ने पूछा या रसूलुल्लाह! सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ये नूरानी महल किस लिए है? हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया, मुसलमान के लिए, वो बोला तो हुज़ूर मैं भी मुसलमान हूँ ये मुझे अता फरमा दीजिए, हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया अगर तू मुसलमान है तो अपने इस्लाम की कोई दलील पेश कर! वो रईस ये सुनकर बड़ा घबराया, हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फिर उसे फ़रमाया मेरी बेटी तुम्हारे पास आए तो उससे सियादत की दलील तलब करे और खुद बगैर दलील पेश किए इस महल में चला जाए ना मुमकिन है, ये सुन कर उसकी आँख खुल गई और बड़ा रोया फिर उस सय्यदज़ादी की तलाश में निकला तो उसे पता चला कि यह फलाँ मजूसी के घर कयाम पज़ीर है। चुनाँचे उस मजूसी के पास पहुँचा और कहा के हज़ार रूपये ले लो और वो सय्यदज़ादी मेरे सपुर्द कर दो। मजूसी बोला : क्या मैं वो नूरानी महल एक हज़ार रूपये पर बेच दूं? ना मुमकिन है, सुन लो! हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जो तुम्हें ख्वाब में मिलकर उस महल से दूर कर गए हैं वो मुझे ख्वाब में मिलकर और कलमा पढ़ा कर उस महल में दाखिल फरमा गए अब मैं भी बीवी बच्चों समेत मुसलमान हूँ और मुझे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम बशारत दे गए हैं कि तु भी अहलो अयाल समेत जन्नती है।
(नुज़हतुल मजालिस जिल्द 2,सफा 94)
सबक:- दलील तलब करने वाला बराए नाम मुसलमान भी जन्नत से महरूम रह गया। और निस्बत ए रसूल ﷺ का लिहाज़ करके बगैर दलील के भी ताज़ीम व अदब करने वाला एक मजूसी भी दौलते ईमान से मुशर्रफ होकर जन्नत पा गया । मालूम हुआ कि अदब व ताज़ीमे रसूल ﷺ के बाब में बात-बात पर दलील तलब करने वाला बराए नाम मुसलमान बदबख्त और महरूम रह जाने वाले हैं।
( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 58,59)
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
पिछली सारी पोस्ट ब्लॉग पर पढ़ने के लिये लिंक पर क्लिक कीजिये।
https://sachchihiqayathindi.blogspot.com/?m=1
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
पिछली सारी पोस्ट टेलीग्राम पर पढ़ने के लिये लिंक पर क्लिक कीजिये।
t.me/sachchi_hiqayat
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
0 Comments