हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और शैतान

أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 


            

   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ      

   

 

   

   तीसरा बाब

 

 


अम्बिाए किराम अलैहिमुस्सलाम


हिक़ायत 55

सच्ची हिक़ायत
Sachchi Hiqayat
Sachchi Hikayat 



हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और शैतान


खुदावंद करीम ने फ़रिश्तों में जब एलान फ़रमाया कि मैं ज़मीन पर अपना एक ख़लीफ़ा बनाने वाला हूं तो शैतान ने इसका बहुत बुरा माना । अपने जी ही जी में हसद की आग में जलने लगा। चुनांचे जब खुदाए तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को पैदा फ़रमाकर फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि मेरे ख़लीफ़ा के आगे सज्दे में झुक जाओ तो सब सज्दे में झुक गये। मगर शैतान अकड़ा रहा और न झुका। खुदावंद करीम को उसका यह तकब्बुर पसंद न आया।उससे दरयाफ्त फरमाया कि ऐ इबलीस। मैंने जब अपने दस्ते कुदरत से बनाए हुए खलीफा के आगे सज्दा करने का हुक्म दिया तो तुमने क्यों न सज्दा किया? शैतान ने जवाब दियाः मैं आदम अलैहिस्सलाम से अच्छा हूं। इसलिए कि मैं आग से बना हूं और वह मिट्टी से बना है। फिर मैं एक बशर को सज्दा क्यों करता? खुदा तआला ने इसका यह तकब्बुर भरा जवाब सुना तो फ़रमाया मरदूद! निकल जा मेरी बारगाहे रहमत से । जा तू क्यामत तक के लिये मरदूद व मलऊन है। (सूरः बकरः)


सबकः खुदा के रसूल और उसके मक़बूलों की इज्जत ताजीम करने से खुदा खुश होता है और उनको अपनी मिस्ल बशर समझकर उनकी ताज़ीम से इंकार कर देना फेअले शैतानी है। एक पैग़म्बरे खुदा को सबसे पहले तहक़ीरन (हकीर नज़र से) बशर कहने वाला शैतान है।

( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 62,63)
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