أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
दूसरा बाबहिक़ायत 54
एक वली और मुहद्दिस
एक वली एक मुहद्दिस (हदीस पढ़ाने वाला) के दर्से हदीस में हाज़िर हुए तो उस मुहद्दिस ने एक हदीस पढ़ी और कहा क़ाला रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम यानी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने यूं फरमायाः तो वह वली बोले यह हदीस बातिल है ।रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हरगिज़ यूं नहीं फ़रमाया । वह मुहद्दिस बोले कि तुम क्यों ऐसा कह रहे हो और तुम्हें कैसे पता कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने ऐसा नहीं फ़रमाया। तो उस वली ने जवाब दिया यह देखो! नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तुम्हारे सर पर खड़े हैं और फरमा रहे हैं मैंने हरगिज़ यह हदीस नहीं कही। वह मुहद्दिस हैरान रह गये और वली बोलेः क्या तुम भी हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को देखना चाहते हो? तो देख लो चुनांचे जब उन मुहद्दिस ने उधर देखा तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को तशरीफ़ फ़रमा देख लिया।
(फतावा हदीसिया सफा 212)
सबक़ : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हाज़िर व नाज़िर हैं मगर देखने के लिए किसी वली की नज़र दरकार है। किसी वली कामिल की नज़रे करम हो जाये तो आज भी सरकार अबद करार के दीदारे अनवर का शर्फ हासिल हो सकता है।
एक मुशाइरा
एक मजलिस मुशाइरा में एक ईसाई शायर ने हस्बे जैल शेअर कहे:
मुहम्मद (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) तो जमीं में बे गुमां है
फलक पर इब्ने मरयम का मकां
जो ऊंचा है वही अफ़ज़ल रहेगा
?जो नीचे है भला अफ़ज़ल कहा है
एक मुसलमान शाइर ने इसके जवाब में यह शेअर कहा
तराजू को उठा कर देख नादां
वही झुकता है जो पल्ला गिरां है
( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 61,62)
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