अबुल-हसन ख़रकानी अलैहिर्रहमा और हदीस का दर्स

 

أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم

           
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ     
  

दूसरा बाब
हिक़ायत  53

Sachchi Hikayat Hindi
Sachchi Hiqayat Hindi
सच्चा हिकायत 

अबुल-हसन ख़रकानी अलैहिर्रहमा और हदीस का दर्स

हज़रत अबुल हसन खरकानी अलैहिर्रहमा के पास एक  इल्मे हदीस पढ़ने के लिये आया और दरयाफ़्त किया कि आपने हदीस कहां से पढ़ी? हज़रत ने फ़रमायाः बराहे रास्त हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से उस शख्स को यकीन न आया। रात को सोया तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ख्वाब में तशरीफ़ लाये और फ़रमायाः अबुल-हसन (अलैहिर्रहमा) सच कहता है। मैंने ही उसे पढ़ाया है। सुबह को वह हज़रत अबुल-हसन अलैहिर्रहमा की खिदमत में हाज़िर हुआ और हदीस पढ़ने लगा। बाज़ मकामात पर हज़रत अबुल-हसन अलैहिर्रहमा ने फ़रमायाः यह हदीस हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से मरवी नहीं है। उस शख्स ने पूछा कि आपको कैसे मालूम हुआ? फरमायाः तुमने हदीस पढ़ना शुरू किया तो मैंने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के अबरूए मुबारक को देखना शुरू किया। मेरी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के चेहरए मुबारक पर हैं। जब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के चेहरे मुबारक पर शिकन पड़ती है तो मैं समझ जाता हूं कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इस हदीस से इंकार फ़रमा रहे हैं।

(तजकिरतुल औलिया, सफा 466)

सबकः हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जिन्दा हैं और हाज़िर व नाज़िर हैं। यह भी मालूम हुआ कि अल्लाह वाले हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के दीदारे पुर अनवार से अब भी मुशर्रफ़ होते हैं। फिर जो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को ज़िन्दा न माने वह खुद ही मुर्दा है।

( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 61)

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