नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती

 أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 


           
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ 

      
तीसरा बाब



  हिक़ायत 58


नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती


हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की क़ौम बड़ी बदबख़्त और नाआकेबत अंदेश (अंजाम को न समझने वाली) थी। हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने साढ़े नौ सौ साल (950) के अर्से में दिन रात तबलीगे हक़ फ़रमाई, मगर वह न माने। आखिर हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने उनकी हलाकत की दुआ मांगी और खुदा से अर्ज़ किया कि मौला इन काफ़िरों को जड़ से उखाड़ दे। चुनांचे आपकी दुआ कुबूल हो गई और खुदा ने हुक्म दियाऐ नूह! मैं पानी का एक तूफाने अज़ीम लाऊंगा और उन सब काफिरों को हलाक करूंगा। तू अपने चंद मानने वालों के लिए एक किश्ती बना ले चुनांचे हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने एक जंगल में किश्ती बनाना शुरू फरमाई। काफिर आपको देखते और कहतेः ऐ नूह! क्या करते हो? आप फरमाते: ऐसा मकान बनाता हूं जो पानी पर चले। काफिर यह सुनकर हंसते और मज़ाक बनाया करते थे। हज़रत नूह अलैहिस्सलाम फरमाते कि आज तुम हंसते हो और एक दिन हम तुम पर हंसेंगे। हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने यह किश्ती दो साल में तैयार की। इसकी लंबाई तीन सौ(300) गज चौड़ाई पचास (50)गज और ऊंचाई तीस(30) गज़ थी। इस किश्ती में तीन दर्जे बनाये गये थे नीचे के दर्जे में जंगली जानवर और दरिन्दे, दर्मियानी दर्जे में चौपाये वगैरह और ऊपर के दर्जे में खुद नूह अलैहिस्सलाम और आपके साथी और खाने पीने का सामान। परिन्दे भी उसी दर्जे में थे। फिर जब बहुक्मे इलाही से तूफाने अज़ीम आया तो उस किश्ती पर सवार होने वालों के सिवा रूए ज़मीन पर जो कोई भी था पानी में ग़र्क हो गया। हत्ता कि नूह अलैहिस्सलाम का बेटा कनआन भी जो काफिर था उसी तूफान में गर्क हो गया।
(सूरः हूद खज़ाइनुल इरफान सफा 33)
सबकः खुदा तआला की नाफरमानी से इस दुनिया में भी तबाही व हलाकत का सामना करना पड़ता है। अल्लाह तआला और उसके रसूल पर ईमान और उनकी इताअत से ही दोनों जहान में नजात व फलाह मिल सकती है।

सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 64,65)
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