أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
तीसरा बाब
हिक़ायत 59
तूफ़ाने नूह और एक बुढ़िया
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने बहुक्मे इलाही जब किश्ती बनाना शुरू की !! तो एक मोमिना बुढ़िया ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम से पूछा कि आप यह किश्ती क्यों बना रहे हैं? आपने फरमाया बड़ी बी! एक बहुत बड़ा पानी का तूफान आने वाला है जिसमें सब काफ़िर हलाक हो जायेंगे।मोमिन इस किश्ती में के ज़रिये बच जायेंगे। बुढ़िया ने अर्ज़ कियाः हुजूर! जब तूफान आने वाला हो तो मुझे ख़बर कर दीजियेगा ताकि मैं भी किश्ती पर सवार हो जाऊं। बुढ़िया की झोंपड़ी शहर से बाहर कुछ फासले पर थी। फिर जब तूफान का वक़्त आया तो हजरत नूह अलैहिस्सलाम दूसरे लोगों को तो किश्ती पर चढ़ाने में मश्गूल हो गए मगर उस बुढ़िया का ख्याल न रहा हत्ता कि खुदा का हौलनाक अज़ाब पानी के तूफान की शक्ल में आया और रूए जमीन है के सब काफिर हलाक हो गये। जब यह अज़ाब थम गया तौर पानी रुक गया और किश्ती वाले किश्ती से उतरे तो वह बुढ़िया नूह अलैहिस्सलाम के पास हाज़िर हुई और कहने लगी हज़रत वह पानी का तूफ़ान कब आयेगा? मैं हर रोज़ इस इंतज़ार में हूं कि आप कब किश्ती में सवार होने के लिए फ़रमाते हैं। हज़रत नूह ने फ़रमायाः बड़ी बी! तूफ़ान तो आ भी चुका और काफ़िर सब हलाक भी हो चुके। किश्ती के ज़रिये ख़ुदा ने अपने मोमिन बंदों को बचा लिया। मगर तअज्जुब है कि तुम कैसे ज़िन्दा बच गई। अर्ज़ किया: अच्छा यह बात है तो फिर उसी ख़ुदाए तआला ने जिसने आपको किश्ती के ज़रिये बचा लिया मुझे मेरी टूटी फूटी झोपड़ी ही के ज़रिये बचा लिया।
(रूहुल ब्यान जिल्द 2, सफा 85)
सबक : जो ख़ुदा का हो जाये ख़ुदा हर हाल में उसकी मदद फ़रमाता है और बगैर किसी सबबे ज़ाहिर के भी उसके काम हो जाते हैं।
(सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 65,66)
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