खलील व जिबराईल

أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 

            
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  
तीसरा बाब

हिकायत 65

Sachchi Hikayat 
Sachchi Hiqayat Hindi
सच्ची हिकायत हिन्दी 

 खलील व जिबराईल


हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को नमरूद ने जब आग में फेंकना चाहा तो जिबराईल अलैहिस्सलाम हाज़िर हुए। और अर्ज़ किया। हुज़ूर ! अल्लाह तआला से कहिये वो आपको इस आतिशकदा से बचा ले। आपने फरमाया। अपने जिस्म के लिए इतनी बुलंद व बाला पाक हस्ती से ये मामूली सा सवाल करूं? जिबराईल अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया। तो अपने दिल के बचाने के लिए उससे कहिये फरमाया ये दिल उसी के लिए है। वो अपनी चीज़ से जो चाहे सलूक करे। जिबराईल अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया। हुज़ूर ! इतनी बड़ी तेज़ आग से आप क्यों नहीं डरते?

फ़रमाया। ऐ जिबराईल ( अलैहिस्सलाम )! ये आग किस ने जलाई? जिबराईल अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया। नमरूद ने! फरमाया। और नमरूद के दिल में ये बात किस ने डाली? जिबराईल अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया। रब्बे जलील ने! खलील ने फरमाया। तो फिर इधर हुक्म मे जलील है। तो इधर रज़ाऐ खलील है 

 (नुज़हत-उल-मजालिस सफा 204 जिल्द 2)

सबक:- अल्लाह वाले हमेशा अल्लाह तआला की रज़ा में राज़ी रहते हैं।

(सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 79, 80)



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