आतिश कदाऐ नमरुद

أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 

            
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  
तीसरा बाब

हिकायत 64
Sachchi Hikayat 
Sachchi Hiqayat Hindi
सच्ची हिकायत हिन्दी 



आतिश कदाऐ नमरुद 



नमरूद मलऊन ने हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से जब मुनाज़रह में शिकस्त खाई। तो और तो कुछ ना कर सका। हज़रत का जानी दुश्मन बन गया। और आपको कैद कर लिया। और फिर एक बहुत बड़ी चार दीवारी तैयार की, और उसमें महीने भर तक बकोशिश किस्म किस्म की लकड़ियाँ जमा कीं। और एक अज़ीम आग जलाई। जिसकी तपिश से हवा में उड़ने वाले परिन्दे जल जाते थे। और एक मुनजनीक (गोफन) तैयार करके खड़ी की और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को बाँध कर उसमें रखकर आग में फेंका। हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की ज़बान पर उस वक़्त ये कलमा जारी था।
حسبي الله ونعم الوكيل
 हसबियल्लाहू व निअमल-वकील
 इधर नमरूद ने आपको आग में फेंका और इधर अल्लाह तआला ने आग को हुक्म फरमाया। के ऐ आग ! खबरदार ! हमारे खलील को मत जलाना। तू हमारे इब्राहीम पर ठंडी हो जा। और सलामती का घर बन जा। चुनाँचे वो आग हज़रत इब्राहीम के लिए बाग व बहार बन गई। और नमरूद की सारी कोशिश बेकार चली गई। 


(कुरआन करीम पारा 17 रूकू 5 और खज़ायन-उल-इर्फान सफा 463)

सबकः- अल्लाह वालों को दुश्मन हमेशा तंग करते रहे। लेकिन अल्लाह वालों का कुछ ना बिगाड़ सके और खुद ही ज़लील होते रहे

(सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 79)
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