खलील व नमरूद का मुनाज़रह



أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 

            
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  


तीसरा बाब


हिकायत 63

Sachchi Hikayat 
Sachchi Hiqayat Hindi
सच्ची हिकायत हिन्दी 



 खलील व नमरूद का मुनाज़रह


हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने जब नमरूद को खुदा परस्ती की दअवत दी तो नमरूद और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम में हस्बे ज़ैल मुनाज़रह हुआ।

नमरूदः तुम्हारा रब कौन है। जिसकी परसतिश की तुम मुझे दअवत देते हो? 
हज़रत खलील अलैहिस्सलामः मेरा रब वो है। जो ज़िन्दा भी कर देता है। और मार भी डालता है।

नमरूदः ये बात तो मेरे अन्दर भी मौजूद है। लो अभी देखो मैं तुझे ज़िन्दा भी करके दिखाता हूँ और मार कर भी। ये कहकर नमरूद ने दो शख्सो को बुलाया। उनमें से एक शख्स को कत्ल कर दिया। और एक को छोड़ दिया और कहने लगा। देख लो। एक को मैंने मार डाला। और एक को गिरफ्तार करके छोड़ दिया। गोया उसे ज़िन्दा कर दिया। नमरूद की ये अहमकाना बात देख कर हज़रत खलील अलैहिस्सलाम ने एक दूसरी मुनाज़ाना गुफ्तग फरमाई और फरमाया।

खलील अलैहिस्सलाम: मेरा रब सूरज को मशरिक की तरफ से लाता है तुझ में अगर ताकत है। तो तू मगरिब की तरफ से लाकर दिखा। ये बात सुन कर नमरूद के होश उड़ गए और ला जवाब हो गया। (कुरआन पारा 3, रूकू 3)

सबक:- झूटे दावे का अंजाम ज़िल्लत व रूसवाई, और काफिर इन्तिहाई अहमक  है।

(सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 78)


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