أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
तीसरा बाब
हिकायत 62
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Sachchi Hikayat Sachchi Hiqayat Hindi सच्ची हिकायत हिन्दी |
तीशाऐ खलील
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम जब पैदा हुए तो नमरूद का दौर था। और बुत परस्ती का बड़ा ज़ोर था। हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम एक दिन उन बुत परस्तों से फरमाने लगे। के ये तुम्हारी क्या हरकत है के उन मूर्तियों के आगे झुके रहते हो। ये तो परसतिश के लायक नहीं। परसतिश के लायक् तो सिर्फ एक अल्लाह है।
वो लोग बोले। हमारे तो बाप दादा भी इन्हीं मूर्तियों की पूजा करते चले आए हैं मगर आज तुम एक ऐसे आदमी पैदा हो गए हो। जो उनकी पूजा से रोकने लगे हो।
आपने फरमाया ! तुम और तुम्हारे बाप दादा सब गुमराह हैं। हक बात यही है। जो मैं कहता हूँ। के तुम्हारा और ज़मीन व आसमान सबका रब वो है जिसने उन सब को पैदा फरमाया। और सुन लो ! मैं खुदा की कसम खा कर कहता हूँ। के तुम्हारे इन बुत्तों को मैं समझ लूंगा।
चुनाँचे एक दिन जब के बुत परस्त अपने सालाना मेले पर बाहर जंगल में गए हुए थे। हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम उनके बुतखाने में तशरीफ ले गए। और अपने तीशे से सारे बुत तोड़ फोड़ डाले और जो बड़ा बुत था। उसे ना तोड़ा और अपना तीशा उसके कंधे पर रख दिया। उस ख्याल से के बुत परस्त जब यहाँ आएँ। तो अपने बुतों का ये हाल देख कर शायद उस बड़े बुत से पूछें। के उन छोटे बुतों को ये कौन तोड़ गया है? और ये तीशा तेरे कंधे पर क्यों रखा है? और उन्हें उनका अज्ज़ ज़ाहिर हो और होश में आएँ के ऐसे आजिज़ खुदा नहीं हो सकते।
चुनाँचे जब वो लोग मेले से वापस आए और अपने बुतखाने में पहुँचे तो अपने मअबूदों का ये हाल देखकर के कोई इधर टूटा हुआ पड़ा है, किसी का हाथ नहीं तो किसी की नाक सलामत नहीं। किसी की गर्दन नहीं तो किसी की टाँगें ही गायब हैं। बड़े हैरान हुए। और बोले। के किस ज़ालिम ने हमारे उन मअबूदों का ये हश्र किया है?
फिर ये खबर नमरूद और उसके अमरआ को पहुँची। और सरकारी तौर पर उसकी तहकीक होने लगी। तो लोगों ने बताया। के हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम उन बुतों के खिलाफ बहुत कुछ कहते रहते हैं। ये उन्हीं का काम मालूम होता है। चुनाँचे हज़रत इब्राहीम को बुलाया गया। और आपसे पूछा गया। के ऐ इब्राहीम ! अलैहिस्सलाम क्या तुम ने हमारे खुदाओं के साथ ये काम किया? आपने फरमाया। वो बड़ा बुत, जिसके कंधे पर तीशा है। उस सूरत में तो ये क्यास किया जा सकता है। के ये उसी का काम है। तो फिर मुझ से क्या पूछते हो। उसी से पूछ लो ना। के ये काम किस ने किया। वो बोले मगर वो तो बोल नहीं सकते। उस मौके पर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम जलाल में आ गए और फरमाया जब तुम खुद मानते हो। के वो बोल नहीं सकते। तो फिर तुफ है तुम बे अक़्लों पर। और उन बुतों पा जिन को तुम अल्लाह के सिवा पूजते हो। (क़ुरआन पारा 17, रूकू 5)
सबक:- खुदा को छोड़ कर बुतों को पूजना शिर्क है। और कुरआन में जहाँ मिन दूनिल्लाही यानी "अल्लाह के सिवा" का लफ़्ज़ आया है। वहाँ यही बुत मुराद हैं ना के अम्बिया व औलिया। इसलिए के हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम उन पर "तुफ" फरमा रहे हैं तो अगर उनसे मुराद अम्बिया व औलिया हों तो हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ऐसा क्यों फरमाते।
(सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 77,78)
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