बकरी ज़िन्दा हो गई

बकरी ज़िन्दा हो गई


 दूसरा बाब

हिकायत 13


जंगे अहज़ाब में हज़रत जाबिर रदियल्लाहु अन्हु ने हुज़ूर सरवरे आलम  सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की दावत की और एक बकरी ज़बह की, हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम सब सहाबा इकराम के साथ  जाबिर रदियल्लाहु अन्हु के घर पहुंचे  तो जाबिर रदियल्लाहु अन्हु ने खाना ला कर आगे रखा। खाना थोड़ा था और खाने वाले ज्यादा थे,। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया थोड़े थोड़े आदमी आते जाओ और बारी बारी खाना खाते जाओ । चुनांचे ऐसा ही हुआ के जितने आदमी खाना खा लेते वो निकल जाते, उसी तरह सब ने खाना खा लिया। जाबिर रदियल्लाहु अन्हु फरमाते है के हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने पहले ही फरमा दिया था के कोई शख्स गोश्त की हड्डी न तोड़े, न फेके, सब एक जगह रखते जाए जब सब खा चुके तो आप ने हुक्म दिया के छोटी मोटी सब हड्डिया जमा कर दो । जमा हो गई  तो आप ने अपना दस्ते मुबारक उन पर रख कर कुछ पढ़ा आप का दस्ते मुबारक अभी हड्डियों के ऊपर ही था और ज़बाने मुबारक से आप कुछ पढ़  ही रहे थे के वो हड्डिया कुछ का कुछ बनने लगी।  यहां तक के गोश्त पोश्त तैयार हो कर कान झाड़ती हुई वो बकरी उठ कड़ी हुई । हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : "जाबिर! ले ये अपनी बकरी ले जा "

(दलाइलुल-नबुव्वत सफ़ा 224 जिल्द 2)

सबक - हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मंबुउल-हयात है और हयात बख्श है । आप ने मुर्दा दिलो और मुर्दा जिस्मो को भी ज़िंदा फरमा दिया।  फिर जो लोग (मआज़ अल्लाह ) हुज़ूर सल्लल्लाहहु तआला अलैहि वसल्लम को "मर कर मिटटी में मिलने वाला"  कहते है किस क़द्र जाहिल और बेदीन है।


(सच्ची हिक़ायत , हिन्दी पेज 29,30)


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