साँप का अंडा

 दूसरा बाब


हिक़ायत 14


साँप का अंडा


एक सहाबी हज़रत हबीबुल्लाह बिन फदिक रदियल्लाहु अन्हु कहीं जा रहे थे के उनका पाँव एत्तेफ़ाकन एक जहरीले साँप के अंडे पर पड़ गया और वो पिस गया। और उसके ज़हर के असर से हज़रत हबीब बिन फदिक रदियल्लाहु अन्हु की आँखे बिलकुल सफेद हो गई और नज़र जाती रही । ये हाल देख कर उनके वालिद बहुत परेशान हुए और उन्हे ले कर हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत मे पहुचें।  हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने सारा किस्सा सुनकर अपना थूक मुबारक उनकी आँखो मे डाला तो हजरत हबीब बिन फदिक रदियल्लाहु अन्हु की अंधी आँखे फौरन रोशन हो गई और उन्हे नजर आने लगा। रावी का बयान है की मैने खुद हजरत फदिक रदियल्लाहु अन्हु को देखा उस वक़्त उनकी उम्र अस्सी (80) साल की थी और आँखे तो उनकी बिलकुल सफेद थी मगर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की थूक मुबारक के असर से नज़र इतनी तेज़ थी के सूई मे धागा डाल लेते थे।

{दलाइल-उल-नबुव्वत सफ़ा- 167)


सबक:-हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अअलैहि वसल्लम की मिस्ल बनने वालो के लिए मुक़ाम गौर है के हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अअलैहि वसल्लम वो है जिनकी थूक मुबारक से अंधी आँखो मे बीनाई और नूर पैदा हो जाए और वो वो है के उनकी थूक के मुतअल्लिक़ रेलगाड़ियों मे ये लिखा होता है के “थूको मत। इससे बीमारी फैलती है।” फिर मर्ज़ व शिफ़ा दोनो बराबर कैसे हो सकती है?


(सच्ची हिक़ायत ,हिन्दी पेज 30,31)

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