बाल का कमाल
हिक़ायत 12
हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रीश मुबारक के दो बाल मुबारक हजरत सिद्दीके अकबर रदियल्लाहु तआला अन्हु को मिल गए। आप उन दो बालो को बतौरे तबर्रुक घर ले आए और बड़ी तअज़ीम के साथ अन्दर एक जगह रख दिए। थोड़ी देर के बाद अंन्दर से कुरआन पढ़ने की आवाज़े आने लगी। सिद्दीके अकबर रदियल्लाहु तआला अन्हु अन्दर गए तो तिलावत की आवाज़े तो आ रही थी, मगर पढ़ने वाले नज़र ना आते थे। हज़रत सिद्दीके अकबर रदियल्लाहु अन्हु ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की खिदमत मे हाज़िर हो कर सारा किस्सा अर्ज़ किया तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मुस्कुरा कर फरमाया :--
“ये फरिश्ते है जो मेरे बाल के पास जमा हो कर कुरआन पढ़ते है”
{जामिउल-मौज़जात सफ़ा 62)
सबक-हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम का हर बाल मम्बउल कमाल है और आप का बाल शरीफ़ ज़ियारतग़ाहे ख़लाइक है। फिर जिन लोगो के बाल मूंड कर नाई नालियों मे फेंक देता है वो अगर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मिस्ल होने का दावा करने लगे तो किस कद्र ज़ुल्म है।
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