हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि तआला वसल्लम का गुस्ल मुबारक

 

أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم

           
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  


  

दूसरा बाब


हिक़ायत 37

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि तआला वसल्लम का गुस्ल मुबारक

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि तआला वसल्लम के गुस्ल मुबारक के वक़्त सहाबाए किराम अलैहिमुर्रिज़वान सोचने लगे और आपस में कहने लगे-जिस तरह दूसरे लोगों के कपड़े उताकर उनको गुस्ल दिया जाता है उसी तरह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि तआला वसल्लम के कपड़े मुबारक उतारकर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि तआला वसल्लम को गुस्ल दिया जाये या फिर को कपड़ो समेत गुस्ल दिया जाये। इस बात पर गुफ्तगू कर रहे थे कि अचानक सब पर नींद तारी हो गयी और सबके सर उनके सीनों पर ढुलक आये। फिर सबको एक आवाज़ आयी। कहने वाला कह रहा था 'तुम जानते नहीं यह कौन हैं?' ख़बरदार! यह रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हैं। इनके कपड़े न उतारना। इन्हें कपड़ों समेत ही गुस्ल दो। फिर सबकी आंखें खुल गयीं। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि तआला वसल्लम को कपड़ों समेत ही गुस्ल दिया।

(मुवाहिब लदुन्नियः जिल्द 2 सफा 378, मिश्कात सफा 537)

सबक : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि तआला वसल्लम की शान सबसे मुमताज़ और बुरगज़ीदा है। कोई शख्स ऐसा नहीं जो उनकी मिस्ल हो। आपकी यह ज़िन्दगी, आपका विसाल शरीफ़ आपका गुस्ल शरीफ़ और आपका कब्रे अनवर में रौनक अफ़रोज़ होना- हर बात आपकी मुमताज़ है। कोई शख़्स किसी बात में आपकी मिस्ल नहीं।

( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 48,49)

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