أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
दूसरा बाब
सच्ची हिक़ायत 38
कब्रे अनवर से आवाज़
हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं जब हम हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के दफ़ने मुबारक से फ़ारिग हुए तो तीन रोज़ के बाद एक आराबी कब्रे अनवर पर हाज़िर हुआ और कब्रे अनवर के सामने गिरकर कब्रे अनवर की खाक अपने सर पर डालने लगा और फिर कहने लगाः या रसूलल्लाह! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जो कुछ आपने फ़रमाया हमने सुना और आपकी ज़बानी हमने कुरआन की यह आयत भी सुनी। (तर्जमा) 'जो लोग अपनी जानों पर जुल्म कर बैठें वह आपके पास हाज़िर हों पस ऐ अल्लाह के रसूल!सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैं अपनी जान पर जुल्म कर बैठा हूं और अब गुनाहों की माफ़ी के लिये आपके पास आ पहुंचा हूं। आराबी ने यह कहा तो कब्रे अनवर से आवाज़ आई 'जाओ!अल्लाह तआला ने तुम्हें बख़्श दिया ।
(हुज्जतुलाह अलल-आलमीन सफा 777)
सबक : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का दरबारे रहमत, विसाल शरीफ के बाद भी बदस्तूर लगा हुआ है। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अपने विसाल शरीफ के बाद भी गुनाहगारों के लिये ज़रिए नजात और मम्बए फुय्यूज़ व बरक़ात हैं । आज भी हम हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के बदस्तूर मोहताज हैं।
( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 49)
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