أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
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Sachchi Hikayat Hindi |
दूसरा बाब
हिक़ायत 40
आसमान का रोना
मदीना मुनव्वरा में एक बार सूखा पड़ गया। बारिश होती ही न थी। लोग उम्मुल-मोमिनीन हज़रत आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु अन्हा की ख़िदमत में फ़याद लेकर हाज़िर हुए। हज़रत उम्मल-मोमिनीन रज़ियल्लाहु अन्हा ने फ़रमाया : हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की क़ब्रे अनवर पर से छत में एक सुराख कर दो ताकि आसमान और क़ब्र में कोई हिजाब न रहे । चुनांचे लोगों ने ऐसा ही किया तो इस क़द्र बारिश हुई कि खेतियां हरी भरी हो गई और जानवर मोटे हो गये। मुहद्दिसीन लिखते हैं कि आसमान ने जब क़ब्र अनवर को देखा तो रो पड़ा था।
(मिश्कात शरीफ़ सफा 527)
सबक : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का फ़ैज़ पाक विसाल शरीफ़ के बाद भी बदस्तूर जारी है। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की क़ब्रे अनवर की ज़्यारत से हर आंख आंसुओं के फूल बरसाने लगती है। यह भी मालूम हुआ कि अल्लाह तआला से कुछ पाने के लिये हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का वसीला ज़रूरी है।
( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 50)
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