बिलाल का ख्वाब

 أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 


            

   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ   

   

Sachchi Hikayat Hindi

 दूसरा बाब

 

हिक़ायत 41 


बिलाल का ख्वाब


हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु के अहदे ख़िलाफ़त में एक मर्तबा कहत पड़ गया तो हज़रत बिलाल बिन हारिस मज़नी रदियल्लाहु अन्हु रौज़ए अनवर पर हाज़िर हुए और अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह!सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम आपकी उम्मत हलाक हो रही है, बारिश नहीं होती। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उन्हें ख्वाब में मिले और फरमाया : ऐ बिलाल! उमर के पास जाओ। उसे मेरा सलाम कहो और कह दो कि बारिश हो जायेगी। उमर से यह भी कहना कि कुछ नरमी इख्तियार करे। (यह हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इसलिये फ़रमाया कि हज़रत उमर फारूक रदियल्लाहु अन्हु दीन के मामले में बड़े सख़्त थे) हज़रत बिलाल हज़रत उमर की ख़िदमत में हाज़िर हुए और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का सलाम व पैगाम पहुंचा दिया। हज़रत उमर यह सलाम व पैगामे महबूब पाकर रोए और फिर बारिश भी खूब हुई।


(शवाहिदुल हक लिल-नव्हानी सफा 67)


सबक : मालूम हुआ कि विसाल शरीफ़ के बाद भी सहाबाए किराम मुश्किल के वक़्त खिदमत में हाज़िर होते थे। हर मुश्किल यहीं से हल होती थी। यह भी मालूम हुआ कि हज़रत उमर फारूक रदियल्लाहु अन्हु की बड़ी शान है। आप ख़लीफ़ए बरहक हैं। इस कदर खुशकिस्मत हैं कि विसाल शरीफ़ के बाद भी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के सलाम व पैग़ाम से मुशर्रफ़ होते हैं। फिर जिसे फारूके आज़म से अदावत होगी वह हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को क्यों न बुरा लगेगा?


( सच्ची हिकायत, हिस्सा अव्वल ,हिन्दी पेज 50)


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