ख्वाब की रोटी

 

أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم

           
   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ  

  
दूसरा बाब


हिक़ायत 46

Sachchi Hikayat Hindi


हज़रत अबुल खैर रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं: एक मर्तबा मैं मदीना मुनव्वरा में हाज़िर हुआ तो मुझे पांच दिन का फाका आ गया। मैं रोज़ए अनवर पर हाज़िर हुआ। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर सलाम अर्ज़ करके फिर हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक़ और हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हुमा पर सलाम अर्ज़ किया। फिर अर्ज़ कियाः या रसूलल्लाह! सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैं तो आपका मेहमान हूं और पांच रोज़ से भूखा हूं। अबुल-खैर कहते हैं कि मैं फिर मिम्बर के पास सो गया तो ख्वाब में देखा कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाये हैं। आपके दाईं तरफ़ हज़रत सिद्दीके अकबर और बाई तरफ़ हज़रत उमर और आगे हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हुम थे। हज़रत अली ने मुझे आगे बढ़कर ख़बरदार किया और फ़रमायाः उठो और देखो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तशरीफ ला रहे हैं। तुम्हारे लिए खाना लाये हैं। मैं उठा और देखा कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के हाथ में रोटी है। वह रोटी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मुझे अता फरमाई। मैंने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की पेशानी अनवर को बोसा देकर वह रोटी ले ली और खाने लगा। आधी खा ली तो मेरी आंख खुल गई। क्या देखता हूं कि बाकी आधी रोटी मेरे हाथ में है।

(हुज्जतुल्लाह अलल-आलमीन, सफा 805)

सबक : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम विसाल शरीफ के बाद भी कासिमे रिज्कुल्लाह (अल्लाह के रिज्क बांटने वाले) हैं। मोहताजों के दाता हैं। यह भी मालूम हुआ कि बुजुर्गाने दीन अपनी तकालीफ व मुश्किलात बारगाहे नब्बी में पेश किया करते थे। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम विसाल के बाद भी अपने गुलामों की फरयाद रसी फरमाते हैं।

(सच्ची हिकायत, हिन्दी पेज 54,55)
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
पिछली सारी पोस्ट ब्लॉग पर पढ़ने के लिये लिंक पर क्लिक कीजिये।
https://sachchihiqayathindi.blogspot.com/?m=1
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
पिछली सारी पोस्ट टेलीग्राम पर पढ़ने के लिये लिंक पर क्लिक कीजिये।
t.me/sachchi_hiqayat
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

Post a Comment

0 Comments