दरख्तों पर हुकूमत

 أَعـوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْـطانِ الرَّجيـم 


            

   بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ   

   


हिक़ायत 22







दरख्तों पर हुकूमत


एक मर्तबा एक आराबी ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से कहाऐ मुहम्मद!(सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) अगर आप अल्लाह के रसूल हैं तो कोई निशानी दिखाइए । हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : अच्छा तो देखो! वह जो सामने दरख्त खड़ा है उसे जाकर इतना कह दो कि तुम्हें अल्लाह का रसूल (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) बुलाता है। चुनांचे वह आराबी उस दरख्त के पास गया और उससे कहा, तुम्हें अल्लाह का रसूल (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) बुलाता है। वह दरख्त यह बात सुनकर अपने आगे पीछे और दायें बायें पीछे गिरा और अपनी जड़ें ज़मीन से उखाड़कर ज़मीन पर चलते हुए  हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) की ख़िदमत में हाज़िर हो गया । अर्ज़ करने लगा अस्सलामु अलैकुम या रसूलल्लाह!(सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) वह आराबी हुज़ूर(सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) से कहने लगा अब इसे हुक्म दीजिये कि यह फिर अपनी जगह पर चला जाये। चुनांचे हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) उससे फ़रमाया कि जाओ। वापस चले जाओ। वह दरख्त यह सुनकर पीछे मुड़ गया और अपनी जगह जाकर कायम हो गया। आराबी यह मोजिज़ा देखकर मुसलमान हो गया और हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) को सज्दा करने की इजाज़त चाही। हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया सज्दा करना जायज़ नहीं। फिर उसने हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) के हाथ पैर मुबारक चूमने की इजाज़त चाही तो हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया हां! यह बात जायज़ है। उसने हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) के हाथ और पैर मुबारक चूम लिये।


(हुज्जतुलल्लाहु अलल-आलमीन, सफा 441)


सबक़ : हमारे हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) का हुक्म दरख्तों पर भी जारी है। यह भी मालूम हुआ कि बुजुर्गों के हाथ पैर चूमने जायज़ हैं । हुज़ूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) ने इससे मना नहीं फ़रमाया ।


(सच्ची हिक़ायत,हिन्दी पेज 37)

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